दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा, जानिए अयोध्या राममंदिर की संरचना

नटवर गोयल
लखनऊ। निर्माणधीन अयोध्या राममंदिर के प्रथम तल का स्वरूप अब नज़र आने लगा है। जब मंदिर पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा तो ये दुनिया का तीसरा सबसे विशाल मंदिर कहलाएगा। आइए आपको मंदिर की संरचना के बारे में बताते हैं। राममंदिर के भव्य गर्भगृह में जनवरी 2024 में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है। चैत्र राम नवमी पर सूर्य की किरण भगवान के ललाट पर पड़ेगी। इसकी व्यवस्था की जा रही है।

मंदिर की डिज़ाइन
मंदिर का डिजाइन चंद्रकांत सोमपुरा ने अपने बेटों के साथ बनाया है। नागर शैली में बनाए जा रहे इस मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व में रहेगा, जो गोपुरम शैली में होगा। यह द्वार दक्षिण के मंदिरों का प्रतिनिधित्व करेगा। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय होगा, जबकि संरचना की परिधि गोलाकार होगी। गर्भगृह का निर्माण मकराना मार्बल से किया जा रहा है। मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा, जिसमें पांच गुंबद और एक टावर होगा। मंदिर को तीन मंजिला बनाया जा रहा है। मंदिर में गर्भ गृह की तरह गृह मंडप पूरी तरह से ढका होगा, जबकि कीर्तन मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप और दो प्रार्थना मंडप खुले रहेंगे। मंदिर के गर्भगृह में लगे 6 खंभे सफेद संगमरमर के हैं, जबकि बाहरी खंभे पिंक सैंडस्टोन से बनाए गए हैं।

प्रथम तल पर राम दरबार
प्रथम तल पर ही रामदरबार की स्थापना की जानी है। यहां रामलला चारों भाईयों व हनुमान जी के साथ विराजमान होंगे। रामदरबार की स्थापना के लिए महापीठ (जहां भगवान विराजेंगे) का निर्माण प्रथम तल पर किया जा रहा है। प्रथम तल पर ढांचे का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब स्तंभों पर मूर्तियां और दीवारों को उकेरने का काम तेजी से चल रहा है। मंदिर के गर्भगृह में एक साथ 300 से 400 लोग दर्शन कर सकेंगे।

मंदिर पहुंचने के लिए चढ़नी होगी 30 सीढ़ी
मुख्य मंदिर के लिए 30 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार तक का रास्ता तय करना पड़ेगा। इसके बाद श्रद्धालु सिंहद्वार के सामने होंगे। सिंहद्वार की ड्योढी पार करते ही मंदिर में सीधे प्रवेश मिल जाएगा। यह मंदिर का मुख्य भवन है, यह पूरी तरह से बन कर तैयार है। इस पहले भवन को नृत्यमंडप नाम दिया गया है। इसके ऊपर आमलक यानि शिखर का शीर्ष का निर्माण शुरू हो चुका है। इसके बाद श्रद्धालु रंगमंडप में प्रवेश करेंगे। इसके ऊपर का मेहराब दार आमलक को पहले तल के निर्माण के पूरा हो जाने के बाद बनाया जाएगा।
इसके अगल बगल की नक्काशीदार दीवारें स्तंभों के साथ भक्तों को आकर्षित करेंगी । इस भवन के बाद श्रद्धालु सीधे गूढ़ी मंडल में प्रवेश करेंगे। खास ये है इसका आमलक पहले तल नहीं बल्कि दूसरे तल के निर्माण के पूरा हो जाने के बाद किया जाएगा। इसके दाहिने और बाएं हाथ पर प्रार्थना मंडप बनाए गए हैं। इसके आमलक भी गूढी मंडल के आमलक के साथ बनाए जाएंगे। प्रार्थना मंडप से ही आम भक्त दर्शन कर सकेंगे। यहां से गर्भगृह में विराजित रामलला 30 फिट की दूरी पर रहेंगे। मुख्य भवन में 12 दरवाजे लगाए जाएंगे।

मंदिर की मूर्तियां 
मंदिर में भगवान की 2 मूर्तियां रखी जाएंगी। एक वास्तविक मूर्ति होगी, जो 1949 में मिली थी और दशकों तक तंबू में रही है। दूसरी एक बड़ी मूर्ति होगी जिसका निर्माण कार्य चल रहा है। इस मूर्ति के निर्माण के लिए नेपाल से की दो शिलाएं अयोध्या लाई गई थी। ये शिलाएं नेपाल के मुस्तांग जिले में काली गण्डकी नदी के तट से लाई गई थी। इन शिलाओं का वजन 26 टन और 14 टन है। कुल तीन मूर्तियां बन रही है। कौन सी स्थापित होगी, ये अभी तय होना बाकी है। मंदिर में प्रभु राम के पांच वर्ष आयु वाली मूर्ति की स्थापना की जाएगी। इस मूर्ति का स्वरूप बाल्मीकि रामायण से लिया गया है।

घंटा
मंदिर में 2100 किलो का एक विशाल घंटा लगाया जाएगा, जो 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा होगा। इसके अलावा मंदिर में विभिन्न आकार के 10 छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे। जिनका वजन 500, 250, 100 किलो होगा। घंटों का निर्माण पीतल के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर किया जाएगा। इन घंटों का निर्माण जलेसर, एटा के लोग कर रहे हैं। एटा का जलेसर पूरी दुनिया मे घुंघरू और घंटी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।

मंदिर के खिड़की दरवाज़े
मंदिर में खूबसूरत आकार में बने खिड़कियां और दरवाजे भी लगाए जाएंगे। मंदिर में लगने वाले सभी दरवाजे और खिड़कियां सागौन की लकड़ी से बनाए जाएंगे। इन लकड़ियों को महाराष्ट्र से मंगवाया गया है। इसके अलावा लकड़ी का काम हैदराबाद के कारीगरों द्वारा किया जाएगा।

मंदिर के चारो ओर का दृश्य
राम मंदिर के चारों ओर आठ एकड़ में निर्माणाधीन परकोटा 48 फिट ऊंची होगी। इस दो मंजिला परकोटे के ऊपरी सतह से श्रद्धालु मंदिर परिसर में प्रवेश कर पाएंगे। परकोटे के बेसमेंट से रामलला के दर्शनार्थियों के निकास का मार्ग बनाया जा रहा है। सहज रूप से दर्शन के लिए प्रवेश और निकासी का मार्ग अलग बनाया जा रहा है। आयताकार परकोटे के चारों ओर 8-8 सौ मीटर लंबा पार वे बनेगा, जिस पर चलकर श्रद्धालु परिक्रमा कर सकेंगे। मुख्य मंदिर से परकोटे की दूरी चारों ओर से 25-25 मीटर तय है।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा
अयोध्या का राम मंदिर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा। दुनिया का सबसे विशाल और भव्य मंदिर कंबोडिया में है। अंकोरवाट मंदिर को राजा सूर्य वर्मन द्वितीय के ने 12वीं सदी में बनवाया था। यह 7,20,000 वर्गमीटर (करीब 500 एकड़) के क्षेत्र में फैला हुआ है। जबकि दूसरा बड़ा मंदिर तमिलनाडु के त्रिची में है। श्रीरंगनाथ मंदिर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। यह लगभग 6,31,000 वर्गमीटर के क्षेत्र में स्थित है। अयोध्या का राम मंदिर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा।
(लेखक ऑल इंडिया वैश्य फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री हैं। आधुनिक और प्राचीन वास्तुकला में विशेष रुचि रखते हैं।)